Sunday, 15 March 2015

Icons of the GB Road of Bollywood



बॉलीवुड का जी.बी. रोड 

Icons of the GB Road of Bollywood 

"A Special Thanx to the Parents 
of these uncivilized Icons"


आज India Today Conclave 2015 में AiB Roast के गालिबाज़ों को बुला कर उन्हें विशेष मंच Provide किया गया, जिसमे उन्होंने अपने इस असभ्य तरीके से लोगों का मजाक उड़ाने के अधिकार की वकालत की l

शोभा डे, अरुण पुरी, कोयल पुरी, शाजिया इल्मी, विश्वनाथन आनंद सरीखे लोग उस कार्यक्रम में बुलाये गये थे l

23 फरवरी को मुंबई उच्च न्यायालय ने अगले कुछ दिनों के लिए AiB Roast के आरोपियों पर गिरफ्तारी से रोक लगा दी थी l

बॉलीवुड में स्थापित हुए इस नये GB रोड के 4 Founder Members क्या यह अधिकार भारत की जनता को देंगे कि इन 4 लोगों की आलोचना इन 4 के माँ बाप के सामने इन्हीं के Style में दी जाए l

और बात करें न्यायलय की... न्यायाधीश बिकते हैं... न्यायलय अपमानित होते हैं और न्याय शर्मिन्दा होता है l

न्यायाधीश भी क्या Allow करेंगे इस प्रकार की भाषा को कोर्ट के अंदर प्रयोग करने की, यदि यह 4 लोग कोर्ट में खड़े होकर अपने इस अधिकार की बात करते हैं तो कोर्ट में ही उसी भाषा में यदि उन्हें उत्तर दिया जाए या उनकी आलोचना की जाए या उनके इस अधिकार का खंडन किया जाये ...
निस्संदेह जज साहब आपको उठा कर बाहर फेंक देंगे l

बार काउन्सिल से आपके Advocate का License भी निरस्त करवा देंगे l


यह है अधिकार...

आप सड़कों पर खुलेआम शराब नहीं पी सकते, कल को शराब पीने वाले भी एकजुट होकर यह मांग कर सकते हैं कि शराब पीना मेरा अधिकार है ... मुझे सार्वजानिक रूप से शराब पीने का अधिकार मिलना चाहिए l

शराब पीना आपका अधिकार हो सकता है परन्तु आप सडकों पर सार्वजनिक रूप से नहीं पी सकते क्योंकि जो नहीं पीते उनकी असुविधा का कारण आप बन सकते हो l
शराब का नशा आपको कितना प्रभावित करता है यह तो एक शराबी भी नही जानता, आप आम जनता को हानि भी पहुंचा सकते हो l

आप अपने घर जाइए और आराम से पीजिये l


आप सड़कों पर खुलेआम SEX नहीं कर सकते, कल को SEX करने वाले लोग (पुरुषों का समूह या महिलाओं का समूह या दोनों का समूह) भी एकजुट होकर यह मांग कर सकते हैं कि SEX करना मेरा अधिकार है ... मुझे सार्वजनिक रूप से करने का अधिकार मिलना चाहिए l



डकैतों और चोरी करने वालों को भी अमीरी-गरीबी का अंतर समाप्त करने हेतु सार्वजनिक रूप से डकैती और चोरी करने का अधिकार मिलना चाहिए l


कुछ दिनों में यह लोग सेंसर बोर्ड को भी बंद करने की मांग करने वाले हैं, फिल्म बनाना इनका अधिकार है उस पर किसी भी प्रकार का सेंसर नही होना चाहिए l


AiB Roast के Founder Member आदि की मानसिकता किस स्तर तक विकृत है यह आप विभिन्न प्रकार के उदाहरणों के माध्यम से ज्ञात कर सकते हैं l

मैं कभी पाता हूँ कि स्कूल के बच्चे गलियों में से गुजरते हुए इन्ही भाषाओं का प्रयोग करते हुए निकलते हैं, अब आप उन्हें यदि रोक कर टोकेंगे तो वह चुप हो जायेंगे, क्योंकि आप बड़े हैं आपका सम्मान न चाहते हुए भी उन्हें करना है, भले वे मन ही मन में आपको कोस रहे हों परन्तु उस समय वे चले जायेंगे l

अब अगले दिन वही बच्चे 100 स्कूली बच्चों का एक ग्रुप बना कर आपके घर के बाहर प्रदर्शन करने खड़े हो जायेंगे कि सडकों पर गाली देते हुए घूमना हमारा अधिकार है और यह अधिकार हमे मिलना चाहिए l
भले ही इससे किसी को भी बुरा लगता हो l

कई बार बसों में यात्रा करते समय आजकल देखा जाता है कि ड्राईवर, कंडक्टर और हेल्पर भी आपस में खूब गाली-गलोज करते हुए पाए जाते हैं, उन्हें भी यदि रोको तो वे भी एक कुतर्क लेकर बैठे हैं कि साहब यह काम ही ऐसा है... इसमें बिना गाली के बात ही नही होती ... मानो कि वे अप्रत्यक्ष रूप से आपसे अधिकार मांग रहा हो गाली-गलोज की भाषा में वार्तालाप करने का l

गंभीरता से विचार करें तो AiB Roast के Founder Member उपरोक्त इन सभी उदाहरणों की विकृत्ति का एक नमूना ही हैं, जो इस समय पैसा, आधुनिकता और मनोरंजन की आड़ और बल लेकर इस विकृति को अधिकार का रूप देने का प्रयास कर रहे हैं l

भारत की वो तमाम जनता जो यदा कदा या सामान्यतया अपने वार्तालापों में ऐसी गालियों का सदुपयोग-दुरूपयोग करती रहती है... वो तो आभारी हो गई है AiB Roast के इन Founder Members के माता पिता के ...
धन्य हैं इन चारों के माँ बाप जिन्होंने ऐसे युगपुरुषों (गाली-गलौज करने वाले युगपुरुष) को जन्म दिया और गाली गलौज युक्त विकृति के ICON बने हैं यह लोग l


करण जौहर की माँ तो वैसे भी धन्य हैं, उन्हें बार बार धन्यवाद देकर हम उन्हें परेशान ही करने लगते हैं l

रणवीर कपूर के माँ-बाप तो कलयुग के सबसे महान माँ-बाप में शुमार हो चुके हैं जिन्होंने ऐसी औलाद को जन्म दिया है जो बहुत अच्छा अभिनेता है, मसखरा है, गाली गलौज में इतना अभ्यस्त है कि अपने आसपास बैठे छोटे बड़े लोगों का कोई ध्यान नहीं उन्हें... देखा वे कितने सभ्य हैं ?


अर्जुन कपूर के माता-पिता में से कौन धन्य है यह कहना थोडा सा कठिन कार्य है, अर्जुन कपूर की माँ को उनके पिता बोनी कपूर ने 1997 में तलाक देकर अभिनेत्री श्रीदेवी से विवाह कर लिया था, शायद बोनी कपूर को अपने और अपनी पत्नी के संसर्ग द्वारा एक कुपुत्र को पैदा किये जाने का बोध हो गया था... इस हेतु ही उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दिया हो l

अर्जुन कपूर के चाचा संजय कपूर भी वहीं बैठे थे, उन्हें कुछ कहने से पहले हमे यह देखना पड़ेगा कि वो +18 दिमाग से हैं कि नही ... क्योंकि शरीर से तो वो अपने भतीजे अर्जुन कपूर के पुत्र जैसे ही लगते हैं l

अपने गाली-ग्लौजी पिता अर्जुन कपूर द्वारा गालियों पर गालियाँ दिए जाने पर वो किस प्रकार हंसते जा रहे थे, वाकई उन्हें गर्व हो रहा होगा अपने बोद्धिक पिता अर्जुन कपूर पर l

सोनम कपूर को अपने भाई को गाली गलौज करते हुए और वहां बैठी महिलाओं के सामने और उन्ही महिलाओं पर अभद्र भाषा में टिप्पणियाँ करने का समर्थन किया गया l
यह कलयुगी बहन हैं... लोग सही कहते हैं, बॉलीवुड में कोई भाई-बहन नही होता l

एक समय था जब कपूर खानदान ने अपने खानदान की महिलाओं पर फिल्मो में काम करने पर रोक लगा रखी थी, परन्तु अपनी पत्नी के सामने अपना पुरुषार्थ खो चुके रणधीर कपूर अपनी पत्नी के आगे इस विवाद पर भी हार गए और उनकी पत्नी बबीता की जिद के आगे उनकी एक नही चली... बड़ी बेटी लोलो और फिर छोटी बेटी बेबो ने आकर कपूर खानदान की ईंट से ईंट बजाने में कोई कसार नहीं छोड़ी l
और फिर छोटी बेटी बेबो ने तो अपना धर्म-परिवर्तन भी करवा लिया l

अब यह कपूर बहनें भी अपने सोनम कपूर की तर्ज पर अपने भाई रणबीर कपूर कू इसी गाली-गलौज करते पाए जाने का समर्थ करती हुई न पाई जाएँ... क्योंकि खबर पढ़ी थी कहीं कि रणबीर कपूर भी Aib Roast के कार्यक्रम का प्रतिनिधित्व करने वाले हैं l


दीपिका पादुकोण के बारे में कुछ कहने में मुझे स्वयं लज्जा आ रही है... ये तो 25-30 वर्ष की आयु में ही भारत के बड़े बड़े अभिनेताओं और व्यवसायिओं के साथ अपनी पिक्चरें खुलेआम बनवा चुकी हैं... उसके बारे में बात करके कोई लाभ नही, और वैसे भी इस प्रकार के मनोरंजनी बलात्कार उनके साथ न जाने कितनी रातों में हुए होंगे l


Bollywood के जी.बी. रोड का जिक्र हो तो भला महेश भट्ट को कैसे भूला जा सकता है, जो आज से लगभग 20 वर्ष पहले अपनी बेटी पूजा भट्ट को अमर्यादित रूप से चूमते हुए फोटो खिंचवाते हैं और कहते हैं कि मर्यादाओं और समाज का भय न होता तो अपनी बेटी से ही विवाह कर लेता...
महेश भट्ट जी आपका यह सपना पूरा हो सकता था... किसी इसाई देश में बस जाते तो वहां पर पिता-पुत्री सम्बन्धों को कोई बुरा नही माना जाता... और आपकी पुत्री को Virgin Mother का सम्मान भी प्राप्त हो जाता l



इन्ही महेश भट्ट की दूसरी (सही गिनती नही मालूम) बीवी सोनी राजदान (ब्रिटिश-भारतीय वर्ण संकर) भी AiB Roast की in गाली-गलौजों का भरपूर लुत्फ़ उठाती दिखाई दीं वो भी स्वयं अपनी ही पुत्री के साथ... आनन्द ही आनंद प्राप्त हो रहा था दोनों को l
और ऐसी ही महिलाएं ... महिला सशक्तीकरण और महिला अधिकारों के बिगुल बजाती हुई दिखाई देती हैं l

चलते चलते... पूरे Bollywood को बात बात पर खामोश कहने वाले शत्रुघ्न सिन्हा अपनी पुत्री को शायद खामोश नहीं कह पाए... जो कि 4000 रूपये देकर इस जी.बी. रोड पर अपना मनोरंजनी बलात्कार करवाने पहुँच गईं और रणवीर सिंह, अर्जुन कपूर, करण जौहर द्वारा आना मनोरंजनी बलात्कार करवाने से भरपूर आनंद के भाव प्राप्त होते उनकी ख़ुशी देखते ही बन रही थी... आप उनके चित्र Google पर सर्च कर सकते हैं l
मनोरंजनी बलात्कार की इस सुखद अनुभूति पर उनके चित्र उनका पूरा समर्थन कर रहे हैं l

शत्रुघ्न जी... एक बार खामोश कह दिए होते तो शायाद ... ?? 

अंत में इन युगपुरुषों की और से भी AiB Roast के Founder Members के माता पिता को हार्दिक धन्यवाद जिन्होंने इतने गुणवान बच्चे इस देश को दिए... देश की गाली गलौज करने वाली जनता को उन पर बहुत गर्व है l














2 comments:

  1. भाई यह तो हो गई इन तथाकथित आधुनिक सोच वाले मसखरों के अधिकार की बात जो कर्तव्य की ब्जाय अधिकारों के प्रति ज्यादा संजीदा होते हैं।
    लेकिन कुछ अधिकार हम जैसे संस्कारि सोच वालों के भी होते हैं , हम अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए इन मसखरों को सबक सिखा सकते हैं। लेकिन आज के दौर में हम जैसी सोच वाले लोग जरूरत से ज्यादा ही सहनशील हो गऐ हैं वरना सोचिए महाराष्ट्र (मुम्बई) जैसे प्रांत में जहां का मुख्य त्यौहार ही गणपति उत्सव हो गणेश महाराज ही जहां के इष्टदेव हों कोई उसी प्रांत(मुम्बई) में कोई (तन्मय भट्ट हो या रामगोपाल वर्मा) भगवान गणेश का अपमान करके कैसे जीवित रह सकता है।
    सहनशीलता एक हद के बाद नंपुसकता ही कहलाती है।

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  2. आधुनिकता के नाम पर मर्यादा को छिन्न भिन्न करने वालों को नैतिकता समझाना व्यर्थ है।
    जिसे समझ होती है वो स्वयं ही ऐसे काम नहीं करता है।

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