Sunday, 1 February 2015

Genocide of Chitpawan Brahmins by Non-Violent Terrorist of Gandhi


Genocide of Chitpawan Brahmins in Pune, 
Terror of Gandhi's Non-Violence 

Targeted & Brutal Genocide of Chitpawan Brahmins in Pune, 
Maharashtra, just after the Assassination of Gandhi.


आज सुबह समाचार चेनलों में देखा 1984 के दंगों की जांच अब SIT से करवाएंगे, वोट बेंक राजनीति के मसाले से समाचारों की दुनिया महक उठी l

परन्तु कभी भी किसी भी सत्ता पक्ष या विपक्ष को आज तक पंजाब में सिक्खों द्वारा 1978 - 1993 तक जो हिन्दुओं का नरसंहार किया गया, उसके बारे में कोई बात नही करता, सोचते सोचते निष्कर्ष निकला कि उसमे भी ब्राह्मणों को ही सबसे अधिक टारगेट किया गया l

यह सब सोच ही रहा था कि एकाएक पुणे शहर में हुए चित्पावन ब्राह्मणों के नरसंहार का स्मरण हुआ,  31 जनवरी - 3 फरवरी 1948 तक पुणे में हुए चित्पावन ब्राहमणों के सामूहिक नरसंहार को आज भारत के 99% लोग संभवत: भुला चुके होंगे, कोई आश्चर्य नही होगा मुझे यदि कोई पुणे का मित्र भी इस बारे में साक्ष्य या प्रमाण मांगने लगे l

सोचने का गंभीर विषय उससे भी बड़ा यह कि उस समय न तो मोबाइल फोन थे, न पेजर, न फैक्स, न इंटरनेट... अर्थात संचार माध्यम इतने दुरुस्त नहीं थे, परन्तु फिर भी नेहरु ने इतना भयंकर रूप से यह नरसंहार करवाया कि आने वाले कई वर्षों तक चित्पावन ब्राह्मणों को घायल करता रहा l

राजनीतिक रूप से भी देखें तो यह कहने में कोई झिझक नही होगी मुझे कि जिस महाराष्ट्र के चित्पावन ब्राह्मण सम्पूर्ण भारत में धर्म तथा राष्ट्र की रक्षा हेतु सजग रहते थे... उन्हें वर्षों तक सत्ता से दूर रखा गया, अब 67 वर्षों बाद कोई प्रथम चित्पावन ब्राह्मण देवेन्द्र फडनवीस के रूप में मनोनीत हुआ है l


हिंदूवादी संगठनों द्वारा मैंने पुणे में कांग्रेसी अहिंसावादी आतंकवादियों के द्वारा चितपावन ब्राह्मणों के नरसंहार का मुद्दा उठाते कभी नही सुना, मैंने सदैव सोचता था कि यह विषय 7 दशक पुराना हो गया है इसलिए नही उठाते होंगे, परन्तु जब जब गाँधी वध का विषय आता है समाचार चेनलों पर तब भी मैंने किसी भी हिंदुत्व का झंडा लेकर घूम रहे किसी भी नेता को इस विषय का संज्ञान लेते हुए नही पाया l

क्या वे हिन्दू... संघ परिवार या बीजेपी के हिंदुत्व की परिभाषा के दायरे में नही आते...
क्योंकि वे हिन्दू महासभाई थे ... ?

हिन्दू के नरसंहार वही मान्य होंगे जो मुसलमानों या ईसाईयों द्वारा किये गये होंगे ?

फिर वो भले कांग्रेसी आतंकवादियों द्वारा किये गये हों, या सिख आतंकवादियों द्वारा, उनकी कोई बात नही करता इस देश में l

31 जनवरी 1948 की रात,
पुणे शहर की एक गली,
गली में कई लोग बाहर ही चारपाई डाल कर सो रहे थे ...

एक चारपाई पर सो रहे आदमी को कुछ लोग जगाते हैं और ... उससे पूछते हैं

कांग्रेसी अहिंसावादी आतंकवादी: नाम क्या है तेरा...
सोते हुए जगाया हुआ व्यक्ति ... अमुक नाम बताता है ... (चित्पावन ब्राह्मण)

अधखुली और नींद-भरी आँखों से वह व्यक्ति अभी न उन्हें पहचान पाया था, न ही कुछ समझ पाया था... कि उस पर कांग्रेस के अहिंसावादी आतंकवादी मिटटी का तेल छिडक कर चारपाई समेत आग लगा देते हैं l

चित्पावन ब्राहमणों को चुन चुन कर ... लक्ष्य बना कर मारा गया l
घर, मकान, दूकान, फेक्ट्री, गोदाम... सब जला दिए गये l

महाराष्ट्र के हजारों-लाखों ब्राह्मण के घर-मकान-दुकाने-स्टाल फूँक दिए गए। हजारों ब्राह्मणों का खून बहाया गया। ब्राह्मण स्त्रियों के साथ दुष्कर्म किये गए, मासूम नन्हें बच्चों को अनाथ करके सडकों पर फेंक दिया गया, साथ ही वृद्ध हो या किशोर, सबका नाम पूछ पूछ कर चित्पावन ब्राह्मणों को चुन चुन कर जीवित ही भस्म किया जा रहा था... ब्राह्मणों की आहूति से सम्पूर्ण पुणे शहर जल रहा था l

31 जनवरी से लेकर 3 फरवरी 1948 तक जो दंगे हुए थे पुणे शहर में उनमें सावरकर के भाई भी घायल हुए थे l

"ब्राह्मणों... यदि जान प्यारी हो, तो गाँव छोड़कर भाग जाओ.." -

31 जनवरी 1948 को ऐसी घोषणाएँ पश्चिम महाराष्ट्र के कई गाँवों में की गई थीं, जो ब्राह्मण परिवार भाग सकते थे, भाग निकले थे, अगले दिन 1 फरवरी 1948 को कांग्रेसियों द्वारा हिंसा-आगज़नी-लूटपाट का ऐसा नग्न नृत्य किया गया कि इंसानियत पानी-पानी हो गई. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि "हुतात्मा पंडित नथुराम गोडसे" स्वयम एक चित्पावन ब्राह्मण थे l

पेशवा महाराज, वासुदेव बलवंत फडके, सावरकर, तिलक, चाफेकर, गोडसे, आप्टे आदि सब गौरे रंग तथा नीली आँखों वाले चित्पावन ब्राह्मणों की श्रंखला में आते हैं, जिन्होंने धर्म के स्थापना तथा संरक्ष्ण हेतु समय समय पर कोई न कोई आन्दोलन चलाये रखा, फिर चाहे वो मराठा भूमि से संचालित होकर अयोध्या तक अवध, वाराणसी, ग्वालियर, कानपूर आदि तक क्यों न पहुंचा हो ?

पेशवा महाराज के शौर्य तथा कुशल राजनितिक नेतृत्व से से तो सभी परिचित हैं, 1857 की क्रांति के बाद यदि कोई पहली सशस्त्र क्रांति हुई तो वो भी एक चित्पावन ब्राह्मण द्वारा ही की गई, जिसका नेतृत्व किया वासुदेव बलवंत फडके ने... जिन्होंने एक बार तो अंग्रेजों के कबके से छुडा कर सम्पूर्ण पुणे शहर को अपने कब्जे में ही ले लिया था l

उसके बाद लोकमान्य तिलक हैं, महान क्रांतिकारी चाफेकर बन्धुओं की कीर्ति है, फिर सावरकर हैं जिन्हें कि वसुदेव बलवंत फडके का अवतार भी माना जाता है, सावरकर ने भारत में सबसे पहले विदेशी कपड़ों की होली जलाई, लन्दन गये तो वहां विदेशी नौकरी स्वीकार नही की क्योंकि ब्रिटेन के राजा के अधीन शपथ लेना उन्हें स्वीकार नही था, कुछ दिन बाद महान क्रांतिकारी मदन लाल ढींगरा जी से मिले तो उन्हें न जाने 5 मिनट में कौन सा मन्त्र दिया कि ढींगरा जी ने तुरंत कर्जन वायली को गोली मारकर उसके कर्मों का फल दे दिया l

सावरकर के व्यक्तित्व को ब्रिटिश साम्राज्य भांप चुका था, अत: उन्हें गिरफ्तार करके भारत लाया जा रहा था पानी के जहाज़ द्वारा जिसमे से वो मर्सिलेस के समुद्र में कूद गये तथा ब्रिटिश चैनल पार करने वाले पहले भारतीय भी बने, बाद में सावरकर को दो आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई l

यह सब इसलिए था क्यूंकि अंग्रेजों को भय था कि कहीं लोकमान्य तिलक के बाद वीर सावरकर कहीं तिलक के उत्तराधिकारी न बन जाएँ, भारत की स्वतन्त्रता हेतु l इसी लिए शीघ्र ही अंग्रेजों के पिठलग्गु विक्रम गोखले के चेले गांधी को भी गोखले का उत्तराधिकारी बना कर देश की जनता को धोखे में रखने का कार्य आरम्भ किया l दो आजीवन कारावास की सज़ा की पूर्णता के बाद सावरकर ने अखिल भारत हिन्दू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्षता स्वीकार की तथा हिंदुत्व तथा राष्ट्रवाद की विचारधारा को जन-जन तक पहुँचाया l


उसके बाद हुतात्मा पंडित नथुराम गोडसे जी का शौर्य आता है, गोडसे जी ने दुरात्मा मोहनदास करमचन्द ग़ाज़ी का वध क्यों किया उससे सम्बन्धित समस्त तथ्यों पर मैं पिछले लेख में कर सकता हूँ l
http://lovybhardwaj.blogspot.in/2015/01/unveil-mystery-of-gandhi-vadh-who-is.html

हुतात्मा पंडित नथुराम गोडसे के छोटे भाई गोपाल जी गोडसे भी गांधी वध में जेल में रहे, बाहर निकल कर जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने पुरुषार्थ और शालीनता के अनूठे संगम के साथ कहा:
""गाँधी जब जब पैदा होगा तब तब मारुगा"।
यह शब्द गोपाल गोडसे जी के थे जब जेल से छुट कर आये थे l

तत्कालीन दंगों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक की और से किसी भी दंगापीड़ित को किसी भी प्रकार की सहायता आदि उपलब्ध न करवाई गई... न तन से, न मन से, न ही धन से, बल्कि आरएसएस प्रमुख श्री गोलवलकर ने तो नेहरु तथा पटेल को पत्र लिख कर यह तक कह डाला कि हमारा हिन्दू महासभा से कोई लेना देना नही, तथा सावरकर से भी मात्र वैचारिक सम्बन्ध है, उससे अधिक और कुछ नही l

आरएसएस प्रमुख श्री गोलवलकर ने इससे भी अधिक बढ़-चढ़ कर  अपनी पुस्तक विचार-नवनीत में यहाँ तक लिख दिया कि नाथूराम गोडसे मानसिक विक्षिप्त था l

अभी 25 नवम्बर 2014 को गोडसे फिल्म का MUSIC LAUNCH का कार्यक्रम हुआ था उसमे हिमानी
सावरकर जी भी आई थीं, जो लोग हिमानी सावरकर जी को नही जानते, मैं उन्हें बता दूं कि वह वीर सावरकर जी की पुत्रवधू हैं तथा गोपाल जी गोडसे जी की पुत्री हैं, अर्थात नथुराम गोडसे जी की भतीजी भी हैं l

हिमानी जी ने अपने उद्बोधन में बताया कि उनका जीवन किस प्रकार बीता, विशेषकर बचपन...वह मात्र 10 महीने की थीं जब गोडसे जी, करकरे जी, पाहवा जी आदि ने गांधी वध किया l

उसके बाद पुणे दंगों की त्रासदी ने पूरे परिवार पर चौतरफा प्रहार किया l

स्कूल में बहुत ही मुश्किल से प्रवेश मिला,
प्रवेश मिला तो ... आमतौर पर भारत में 5 वर्ष का बच्चा प्रथम कक्षा में बैठता है l

एक 5 वर्ष की बच्ची की सहेलियों के माता-पिता अपनी बच्चियों को कहते थे कि हिमानी गोडसे (सावरकर) से दूर रहना... उसके पिता ने गांधी जी की हत्या की है l

संभवत: इन 2 पंक्तियों का मर्म हम न समझ पाएं... परन्तु बचपन बिना सहपाठियों के भी बीते तो कैसा बचपन रहा होगा... मैं उसका वर्णन किन्ही शब्दों में नही कर सकता, ऐसा असामाजिक, अशोभनीय, अमर्यादित दुर्व्यवहार उस समय के लाखों हिन्दू महासभाईयों के परिवारों तथा संतानों के साथ हुआ l

आस पास के लोग... उन्हें कोई सम्मान नही देते थे, हत्यारे परिवार जैसी संज्ञाओं से सम्बोधित करते थे l

गांधी वध के बाद लगभग 20 वर्ष तक एक ऐसा दौर चला कि लोगों ने हिन्दू महासभा के कार्यकर्ता को ... या हिन्दू महासभा के चित्पावन ब्राह्मणों को नौकरी देना ही बंद कर दिया l उनकी दुकानों से लोगों ने सामान लेना बंद कर दिया l

चित्पावन भूरी आँखों वाले ब्राह्मणों का पुणे में सामूहिक बहिष्कार कर दिया गया था गोडसे जी के परिवार से जुड़े लोगो ने 50 वर्षों तक ये निर्वासन झेला. सारे कार्य ये स्वयं किया करते थे l एक अत्यंत ही तंग गली वाले मोहल्ले में 50 वर्ष गुजारने वाले चितपावन ब्राह्मणों को नमन l


अन्य राज्यों के हिन्दू महासभाईयों के ऊपर भी विपत्तियाँ उत्पन्न की गईं... जो बड़े व्यवसायी थे उनके पास न जाने एक ही वर्ष में और कितने वर्षों तक आयकर के छापे, विक्रय कर के छापे, आदि न जाने क्या क्या डालकर उन्हें प्रताड़ित किया गया l

चुनावों के समय भी जो व्यवसायी, व्यापारी, उद्योगपति आदि यदि हिन्दू महासभा के प्रत्याशियों को चंदा देता था तो अगले दिन वहां पर आयकर विभाग के छापे पड़ जाया करते थे l

गांधी वध पुस्तक छापने वाले दिल्ली के सूर्य भारती प्रकाशन के ऊपर भी न जाने कितनी ही बार... आयकर, विक्रय कर, आदि के छापे मार मार कर उन्हें प्रताड़ित किया गया, ये उनका जीवट है कि वे आज भी गांधी वध का प्रकाशन निर्विरोध कर रहे हैं ... वे प्रसन्न हो जाते हैं जब उनके कार्यालय में जाकर कोई उन्हें ... "जय हिन्दू राष्ट्र" से सम्बोधित करता है l

हिन्दू महासभाईयों को उनके प्रकाशन की पुस्तकों पर 40% छूट आज भी प्राप्त होती है l

आज भी हिन्दू महासभाईयों के साथ भेदभाव जारी है l

...और आज कई राष्ट्रवादी यह लांछन लगाते नही थकते...
"कि हिन्दू महासभा ने आखिर किया क्या है ?"

कई बार बताने का मन होता है ... तो बता देते हैं कि क्या क्या किया है...
साथ ही यह भी बता देते हैं कि आर.एस.एस को जन्म भी दिया है l

परन्तु कभी कभी ... परिस्थिति इतनी दुखदायी हो जाती है कि ... निशब्द रहना ही श्रेष्ठ लगता है l

विडम्बना है कि ... ये वही देश है... जिसमे हिन्दू संगठन ... सावरकर की राजनैतिक हत्या में नेहरु के सहभागी भी बनते हैं और हिन्दू राष्ट्रवाद की धार तथा विचारधारा को कमजोर करते हैं l


आप सबसे विनम्र अनुरोध है कि अपने इतिहास को जानें, आवश्यक है कि अपने पूर्वजों के इतिहास को भली भाँती पढें और समझने का प्रयास करें.... तथा उनके द्वारा स्थापित किये गए सिद्धांतों को जीवित रखें l

जिस सनातन संस्कृति को जीवित रखने के लिए और अखंड भारत की सीमाओं की सीमाओं की रक्षा हेतु  हमारे असंख्य पूर्वजों ने अपने शौर्य और पराक्रम से अनेकों बार अपने प्राणों तक की आहुति दी गयी हो, उसे हम किस प्रकार आसानी से भुलाते जा रहे हैं l


सीमाएं उसी राष्ट्र की विकसित और सुरक्षित रहेंगी ..... जो सदैव संघर्षरत रहेंगे l
जो लड़ना ही भूल जाएँ वो न स्वयं सुरक्षित रहेंगे न ही अपने राष्ट्र को सुरक्षित बना पाएंगे l


जय श्री राम कृष्ण परशुराम





17 comments:

  1. बहुत अच्छे लवी जी | आपने वह मुद्दा उठाया है जिस पर आम तौर पर किसी का ध्यान नहीं जाता |

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  2. साधुवाद है आपका l

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  3. अच्छा लगा आपका लेख पढ़ कर... पर मुझे नहीं लगता की इस देश में किसी में भी इतना साहस है की जो हुतात्मा गोडसे जी को उनका स्थान दिलवा सके... हमारे प्रधान सेवक जी बस गांधी नाम की माला जपने में ही लगे रहते हैं... बहुत कष्ट होता है यह सब देख कर.... ये देश क्या होना चाहिए था और क्या हो गया... नमन है गोडसे जैसे वीर पुरुषों को... ये भारत भूमि सदैव ऋणी रहेगी उनकी....

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    1. जिस अवश्य होगा, सब कुछ होगा l

      समय लगेगा, और जब समय आयेगा तो हुतात्मा पंडित नथुराम गोडसे जी की अस्थियाँ भी सिन्धु नदी में प्रवाहित की जायेंगी l

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    2. Hope his last wish will be carried out,may be it will take time,but blood will show it's burning color

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  4. नमन है ऐसी महान भिभूतियों को कृपा करके ऐसे लेखों से हम सच्चे भारतीयों को अवगत कराते रहे और गांधी नेहरू परिवार की सच्चाई लोगो तक पहुँचाते रहे इस देश के सच्चे सपूतो को इस कांग्रेस ने बहुत क्षति पहुंचाई है और मोदी भी अब गांधी का हो गुणगान कर रहे है इसलिए यह और भी जरूरी हो गया है की लोगो को इन महान सपूतो का सही ज्ञान दिया जाये

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    1. अश्विनी जी,
      नवनीत जी,

      गांधी-वध के आरोप से मुक्त होने के उपरान्त एक बार सावरकर नथुराम गोडसे जी की घर गये, तब तक महाराष्ट्र में कई लोगों ने सावरकर की पूजा करनी भी आरम्भ कर दी थी l

      सावरकर को घर आया देख गोडसे परिवार भाव-विहोर होकर रोने लगा l

      सावरकर यह देखकर बोले : तुम रोते क्यों हो ? आज भारतवासी भले ही नथुराम गोडसे के कृत्य को समझ नही पा रहे, परन्तु एक ऐसा भी समय आयेगा जब पूरे भारत में गांधी की प्रतिमाएं तोडी जायेंगी... और नथुराम गोडसे की प्रतिमाएं स्थापित होंगी l

      जय हिन्दू राष्ट्र!

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  5. वो दिन अवश्य आएगा लवि भी जी एक क्यूकी विनायक दामोदर सावरकर जी एक दूरदृष्ठा छवि के माहन पुरुष थे

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  6. वो दिन अवश्य आएगा लवि भी जी एक क्यूकी विनायक दामोदर सावरकर जी एक दूरदृष्ठा छवि के माहन पुरुष थे

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  7. Well said Mr. Bharatdwaj , however the said atrocities were against all Brahmins not only Chitpavan Brahmins

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  8. Thankyou for highlighting another forgotten chapter. Pl keep up the excellent research.Pranam

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  9. Jish tarah se kashmir me 1990 aur pune city me 1948 me brahmin genocide huwa tha wo din dur nahi jab ek baar firse brahmin genocide hoga, aaj dalit samaj aur communist waale khule aam bhramin samaj ko gaali dete hai, waqt aagaya hai hum sab brahmin ko ek hona hoga aur inke khilaf action lena hoga, bamsef neta-waman meshram, formar bombay highcourt judge kolse patil, sambhaji brigade, aur kayi dalit neta aur communist waale brahmin ko khule aam maarne ki dhamki dete hai logo ko bhadkate hai brahmin samaj k khila, samay aagaya hai purey bharat k bhramin ko ek hona hoga chahe wo maharashtra ka ho, gujarat ka ho, tamil brahmin , uttar pradesh bihar andhra, karnataka sab rajya k brahmin ko ek hona hoga, warna firse ek baar kashmir jaisi barbarta dekhne ko milegi

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  10. सत्य और असत्य की बेस्वादी खिचड़ी

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  11. सत्यता को उजागर करने वाले इस लेख को पढ़ कर बहुत अच्छा लगा और दुख हुआ कि सनातन समाज को समाप्त करने और नीचा दिखाने वाली की सनातनों में भी एक अलग जाति या गोत्र है जिसको "कांग्रेस गोत्र" कहते हैं इस गोत्र के लोग ज्यादा तर देशद्रोही, सनातन धर्मद्रोही, हिन्दू समाजद्रोही, सत्ता लोलुप, चाटुकार किस्म के होते हैं। ये बहरूपिया भी होते हैं जैसे कभी हिन्दू, कभी ईसाइय तो कभी मुसलमान का स्वांग करते हैं। वैसे इनका मजहब धोका, बरगलाना और मक्कारी से भरा है। इनकी बिरादरी में विभीषण,जयचन्द,मीर कासिम, मीर जाफर, आदि और भी बहुत से देशद्रोही पैदा हुए हैं।

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  12. देश में विदेशी रनडिया लाते है और फ़िर कहते मैं हिंदू

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  13. हिंदू हित तो मुगलों के वक़्त ही मर गया था आदरणीय

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