क्या स्वतन्त्रता दिवस
और गणतन्त्र दिवस दासत्व के प्रतीक हैं ?
क्या भारतीयों को मूर्ख बनाना सबसे सरल है ?
क्या भारतीयों को मूर्ख बनाना सबसे सरल है ?
26 जनवरी, गणतन्त्र
दिवस – गुलामी का प्रतीक
15 अगस्त, स्वतन्त्रता दिवस – दासत्व की परम्परा
15 अगस्त, स्वतन्त्रता दिवस – दासत्व की परम्परा
सुबह सुबह फेसबुक,
Whatsapp और ट्विटर पर लोगों ने शुभकामनायें देनी आरम्भ कर दीं l
शुभकामनायें देखकर यूँ प्रतीत हुआ कि आखिर यह कब तक चलता रहेगा, भारत देश में भले ही लोग गाँधी-नेहरु का जन्मदिवस या पुन्य-तिथि मनाते हों परन्तु एक आश्चर्यजनक सत्य यह भी है कि यह सब दिखावा मात्र है, वास्तव में भारत के 90% लोग गाँधी-नेहरु को कोसते हुए ही मिलेंगे यदि आप उनसे मित्रतापूर्वक बात करेंगे तो l
शुभकामनायें देखकर यूँ प्रतीत हुआ कि आखिर यह कब तक चलता रहेगा, भारत देश में भले ही लोग गाँधी-नेहरु का जन्मदिवस या पुन्य-तिथि मनाते हों परन्तु एक आश्चर्यजनक सत्य यह भी है कि यह सब दिखावा मात्र है, वास्तव में भारत के 90% लोग गाँधी-नेहरु को कोसते हुए ही मिलेंगे यदि आप उनसे मित्रतापूर्वक बात करेंगे तो l
ऐसा ही कुछ होता है 15
अगस्त यानी स्वतन्त्रता दिवस पर l
मैं ऐसी शुभकामनायें
देने वाले मित्रों से कुछ प्रश्न पूछना चाहता हूँ ? उत्तर भी साथ साथ दे रहा हूँ,
किसी को संदेह हो तो स्वयं शोध के लिए स्वतंत्र है...
1. भारत की पहली संसद का निर्माण कब हुआ ?
उत्तर: 17 अप्रैल, 1952
2. भारत का संविधान कब पारित हुआ ?
उत्तर: 26 जनवरी, 1950
1. भारत की पहली संसद का निर्माण कब हुआ ?
उत्तर: 17 अप्रैल, 1952
2. भारत का संविधान कब पारित हुआ ?
उत्तर: 26 जनवरी, 1950
संविधान के अनुसार,
भारत की संसद में निचले सदन यानी कि लोकसभा में संविधान का प्रारूप रखा जायेगा, उस
पर बहस होगी, तदुपरांत पारित होगा, फिर वह ऊपरी सदन अर्थात राज्यसभा में जायेगा वहां
बहस होगी, तदुपरांत वहां पारित होगा l
फिर राष्ट्रपति उस
संविधान को पारित करेंगे l
परन्तु ऐसा तो कुछ हुआ
ही नही, ब्रिटिश कानूनों के तहत पहले संविधान निर्माण किया गया और फिर प्रथम
लोकसभा का गठन हुआ, लोकसभा और राज्यसभा कहीं भी इस संविधान पर चर्चा मात्र भी न
हुई, और न ही यह कभी पारित ही हुआ l
मेरी समझ से बाहर है कि
यह संविधान संवेधानिक है या असंवैधानिक ?
आपकी समझ में यदि कुछ आ
जाए तो मुझे भी समझा देना ?
विषाद बढ़ता है ऐसी
शुभकामनाएं देखकर कि आखिर कब तक हम भारतीय यह झूठे स्वतन्त्रता दिवस और गणतन्त्र
दिवस की शुभकामनायें एक दुसरे को देते रहेंगे, लगभग 3-4 पीढियां गुजर चुकीं परन्तु
सत्य बोलने का साहस इस देश में न कोई कर रहा है और न ही सत्य पर से पर्दा ही उठाने
का साहस कर रहा है l
कुछ वर्ष पूर्व एक महान
साहसी आया, जिसका पुरुषार्थ मानो कई युगों से प्रेरित था, नाम था उसका राजीव
दीक्षित, उसकी वाणी ने कुछ ऐसा प्रभाव डाला कि लाखों लोगों को उन्होंने गुलामी की
मानसिकता और गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने हेतु सोचने पर मजबूर किया, लाखों लोगों को
नींद से जगाने का भी कार्य किया l
परन्तु कुछ ऐसी
शक्तियाँ भी हैं जो कि नहीं चाहतीं कि भारत के सोते हुए भारतीय जागें, वे चाहते
हैं कि इन्हें जैसे सदियों से मूर्ख बनाया है ये ऐसे ही मूर्ख बने रहें l और ऐसी
ही शक्तियों द्वारा उस महान पुरुषार्थी, बुद्धिजीवी, स्वदेशी और आयुर्वेद के प्रखर
प्रवक्ता भाई राजीव दीक्षित जी के पुरुषार्थी जीवन का अंत कर दिया गया, संदेहास्पद
परिस्थितियों में हुई उस हत्या के तथ्य अभी खुलने बाकी हैं l
जो लोग ऐसा सोचते हैं
कि भाई राजीव दीक्षित जी के स्वर्गीय हो जाने के बाद यह जागृत होने की परम्परा रुक
जाएगी, तो मैं ऐसे सभी लोगों को बता दूं कि यह आग अब लग चुकी है, यह अब थमेगी नही
l
एक शर्मनाक तथ्य को
बताते हुए विषाद उत्पन्न होता है कि मथुरा में दो शूरवीर देशभक्तों द्वारा
विक्टोरिया की मूर्ति तोड़ी गई तो उन दोनों शूरवीर देशभक्तों को मथुरा की पुलिस में
जितने भी लोग थे लगभग उन सभी ने मारा, और इतने नृशंस तरीके से मारा कि आम आदमी उस
पिटाई को देख नही सकता l
मथुरा के यह पुलिस वाले
तो अपनी नौकरी और और पारिश्रमिक का कर्तव्य निभा रहे थे, ऐसा कर्तव्य 70 वर्ष पहले
भी भारतीय पुलिस वाले निभा रहे थे, 150 वर्ष पहले भी, प्रथम विश्व युद्ध में भी,
द्वितीय विश्व युद्ध में भी, और न जाने कब कब और कैसे कैसे भारतीय ही भारत के राष्ट्रभक्तों
को अमानवीय रूप से अधार्मिक रूप से, राष्ट्रद्रोही रूप से ... परास्त करते आ रहे
हैं l
फिर चाहे वो भारतीय सिकन्दर
के साथ मिले हों, मेनिन्डर के साथ मिले हों, मुहम्मद बिन कासिम के साथ मिले हों,
गौरी या गजनवी के साथ मिले हों, मुगलों और खिलजियों के साथ मिले हों... यह राष्ट्रद्रोह
की परम्परा बहुत प्राचीन है... नई नही है l
बात करते हैं गुलामी
अर्थात दासत्व के प्रतीक पर ...
स्वतन्त्रता दिवस या दासों की नई कहानी।
कौन सी स्वतन्त्रता और गणतन्त्र ?
कैसी स्वतन्त्रता और गणतन्त्र ?
15 अगस्त को प्रत्येक वर्ष मूर्ख हिंदू और मुसलमान उसी मानवता के संहार का जश्न मनाते हैं, दोनों को लज्जा भी नहीं आती ।
युद्ध भूमि में भारत कभी नहीं हारा, लेकिन अपने ही जयचंदों से हारा है, समझौतों से हारा है । अपनी मूर्खता से हारा है, उन्हीं समझौतों में सत्ता के हस्तांतरण का समझौता भी है ।
पाकिस्तान गाँधी की लाश पर बन रहा था, लेकिन इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 का न गाँधी ने विरोध किया और न जिन्ना ने ... न ही नेहरु ने और न ही सरदार पटेल ने ।
सभी ने ब्रिटिश उपनिवेश यानी ब्रिटेन की दासता स्वीकार की, मुझे उन मुसलमानों पर तरस आता है, जो कश्मीर को उपनिवेश इंडिया से उपनिवेश पाकिस्तान में मिलाने के लिए रक्त बहाते हैं, पाकिस्तान के लोगों को पहले यह सुनिश्चित करना चहिये कि क्या पाकिस्तान भारत का है ?
गंभीरता से शोध किया जाये तो उत्तर मिलेगा... नही?
कौन सी स्वतन्त्रता और गणतन्त्र ?
कैसी स्वतन्त्रता और गणतन्त्र ?
15 अगस्त को प्रत्येक वर्ष मूर्ख हिंदू और मुसलमान उसी मानवता के संहार का जश्न मनाते हैं, दोनों को लज्जा भी नहीं आती ।
युद्ध भूमि में भारत कभी नहीं हारा, लेकिन अपने ही जयचंदों से हारा है, समझौतों से हारा है । अपनी मूर्खता से हारा है, उन्हीं समझौतों में सत्ता के हस्तांतरण का समझौता भी है ।
पाकिस्तान गाँधी की लाश पर बन रहा था, लेकिन इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947 का न गाँधी ने विरोध किया और न जिन्ना ने ... न ही नेहरु ने और न ही सरदार पटेल ने ।
सभी ने ब्रिटिश उपनिवेश यानी ब्रिटेन की दासता स्वीकार की, मुझे उन मुसलमानों पर तरस आता है, जो कश्मीर को उपनिवेश इंडिया से उपनिवेश पाकिस्तान में मिलाने के लिए रक्त बहाते हैं, पाकिस्तान के लोगों को पहले यह सुनिश्चित करना चहिये कि क्या पाकिस्तान भारत का है ?
गंभीरता से शोध किया जाये तो उत्तर मिलेगा... नही?
क्यूंकि भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बंगलादेश आदि पर वास्तविक अधिकार तो रानी का
है, आप कहेंगे कौन सी रानी, तो मैं आपको बता दूं ब्रिटेन की रानी l
भारत को छद्म स्वतन्त्रता देने का विचार तो 1942 में ही कर लिया गया था, 1948 तक का समय सुनिश्चित किया गया था ।
भारत को छद्म स्वतन्त्रता देने का विचार तो 1942 में ही कर लिया गया था, 1948 तक का समय सुनिश्चित किया गया था ।
1947
के जून महीने में यह ज्ञात हुआ कि मुहम्मद अली जिन्ना (पुन्जामल ठक्कर
का पोता) की टी.बी. की बीमारी अंतिम स्तर पर है और अधिक से अधिक 1 वर्ष की आयु शेष
बची है ।
भारत की (छद्म) स्वतन्त्रता और भारत विभाजन की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया ।
4 जुलाई 1947 से आरम्भ हुई यह प्रक्रिया 14 जुलाई को सम्पूर्ण हो गई और मात्र 40 दिनों में ही यह प्रक्रिया समस्त षड्यंत्रों के तहत सम्पूर्ण हुई ।
गंधासुर गांधी ने कहा था कि विभाजन मेरी लाश पर होगा जिसे सुनकर वर्तमान पाकिस्तानी पंजाब में रहने वाले हिन्दुओं में वर्तमान भारतीय क्षेत्रो में आकर बसने के निर्णय को बदल दिया । (Lovy Bhardwaj)
14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बन गया और हिन्दू वहीं फंस गये ।
नरसंहार का एक ऐतिहासिक काल आरम्भ हुआ जिसके तहत... 35 लाख हिन्दुओं का नरसंहार किया गया ।
3 लाख हिन्दू नारियों का बलात्कार हुआ व जबरन धर्म परिवर्तन करके उन्हें मुस्लिम बना दिया गया ।
3 करोड़ हिन्दू पाकिस्तान के जबड़े में फंसे रह गये ।
और इस भयानक नरसंहार के बीच किसी ने ध्यान ही नही दिया कि आखिर हुआ क्या ?
1946 के चुनावों के बाद जो सर्वदलीय संसद बनी उसमे विभाजन के प्रस्ताव को पारित करने हेतु संयुक्त रूप से 157 वोट डाले समर्थन हेतु डाले गये जिसमे प्रमुख पार्टियाँ (कांग्रेस + मुस्लिम लीग + कम्यूनिस्ट पार्टी) थीं ।
पहला हाथ नेहरु ने उठाया था । (Lovy Bhardwaj)
विरोध में अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के 13 वोट पड़े और रामराज्य परिषद के 4 वोट पड़े ।
विभाजन का प्रस्ताव पारित हो गया ।
उसके बाद की समस्त प्रक्रिया दिल्ली में औरंगजेब रोड स्थित मुहम्मद अली जिन्ना के घर पर ही सम्पूर्ण हुई ।
जिन्ना इतना धूर्त था कि जहाँ भू-तल पर नेहरु-गाँधी लार्ड माउंटबैटन के साथ कानूनी सहमतियाँ बना रहे थे वहीं प्रथम तल पर जिन्ना अपनी कुछ सम्पत्तियां और औरंगजेब रोड पट स्थित वह घर बेचने की प्रक्रिया पूरी कर रहा था ।
मुहम्मद अली जिन्ना एक वकील था ।
नेहरु एक वकील था ।
गांधी एक वकील था ।
सरदार पटेल भी एक वकील था ।
उस समय के अधिकतर नेता वकील ही थे ।
वे सब जानते थे कि यह सम्पूर्ण स्वतन्त्रता नही अपितु स्वतन्त्रता है मात्र कुछ वर्षों हेतु । (Lovy Bhardwaj)
जी हाँ... यह छद्म स्वंत्रता ही थी ...इससे अधिक और कुछ नही ।
सत्ता का हस्तांतरण हुआ था ।
अर्थात सत्ता तो अंग्रेजों के पास ही रहेगी और उनकी देखरेख में शासन की व्यवस्था सम्भालेंगे ... आत्मा से बिके हुए कुछ गिरे हुए भारतीय ।
यदि आधुनिक भाषा में कहूँ तो विश्व की सबसे प्रथम डील थी Business Process Outsourcing की स्थापना हुई l
सत्ता के इस हस्तांतरण का साक्षी बना "Agreement of Transfer of Power" जो कि लगभग 4000 पेजों में बनाया गया था और जिसे अगले 50 वर्षों हेतु सार्वजनिक न करने का नियम भी साथ में लागू किया गया ।
1997 में इस Agreement को सार्वजनिक होने से बचाने हेतु समय से पहले ही तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री इंद्र कुमार गुजराल ने इसकी अवधि 22 वर्ष और बढा दी और यह 2019 तक पुन: सार्वजनिक होने से बच गया ।
ऐसे सत्ता के हस्तांतरण के Agreements ब्रिटिश सरकार के अधीन भारत समेत समस्त 54 देशों के हैं जिनमे आस्ट्रेलिया, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलेंड, श्रीलंका, पाकिस्तान आदि 54 देश हैं ।
यह 54 देश ब्रिटिश राज के उपनिवेश कहलाते हैं ।
इन 54 देशों के नागरिक ब्रिटेन की रियाया हैं अर्थात ब्रिटेन के ही नागरिक हैं ।
इन 54 देशों के समूह को "राष्ट्र्मंडल" नाम से जाना जाता है जिसे आप Common Wealth के नाम से भी जानते हैं अर्थात संयुक्त सम्पत्ति । संयुक्त सम्पत्ति किसकी ... ब्रिटेन की रानी की l
(Lovy Bhardwaj)
यदि आप सबको कोई आशंका हो तो उदाहरण के तौर पर आप यूं समझ लें कि ब्रिटेन समेत सभी ब्रिटेन उपनिवेश "राष्ट्र्मंडल" देशों के भारत में विदेश मंत्री तथा राजदूत नही होते अपितु विदेश मामलों के मंत्री तथा उच्चायुक्त होते हैं और ठीक इसी प्रकार भारत के भी इन देशों में विदेश मामलों के मंत्री तथा उच्चायुक्त ही होते हैं ।
1. Minister of Foreign Affairs
2. High Commissioner
जैसे कि भारत की विदेश मंत्री हैं सुषमा स्वराज, तो यह सुषमा स्वराज का अधिकारिक दर्जा विदेश मंत्री के तौर पर केवल रूस, जापान, चीन, फ़्रांस, जर्मनी, बेल्जियम आदि स्वतंत्र देशों में ही रहता है ।
परन्तु ब्रिटिश उपनिवेशिक अर्थात राष्ट्र्मंडल देशों जैसे आस्ट्रेलिया, कनाडा आदि देशों में सुषमा स्वराज का अधिकारिक दर्जा Minister of Foreign Affairs का ही रहता है ।
आखिर भारत जैसे गुलाम देश की नागरिक क्वीन एलिज़ाबेथ की विदेश मंत्री कैसे हो सकती है ... क्यूंकि यह कनाडा, आस्ट्रेलिया, भारत आदि देश तो क्वीन एलिज़ाबेथ के ही अधिकार क्षेत्र या मालिकाना क्षेत्र में ही आते हैं जिसे आजकल आप Territory के नाम से समझते हैं ।
इसी प्रकार उपनिवेशिक / राष्ट्र्मंडल देशों में भारत का कोई राजदूत (Ambassador) नही होता अपितु मात्र उच्चायुक्त (High Commissioner) ही होता है । उपनिवेश देशों में उपनिवेश देशों का कोई भी राजदूत या दूतावास ही नही होगा, केवल उच्चायुक्त ही होंगे, आज तक किसी भी ब्रिटिश उपनिवेश देश में किसी भी ब्रिटिश उपनिवेश देश का अधिकृत रूप से कोई राजदूत नियुक्त नही हुआ और न ही कोई दूतावास ही बनाया गया है l
केवल उच्चायुक्त होते हैं l
Transfer of Power नामक इस Agreement की शर्तें लगभग 4000 पेजों में विस्तार से लिखी गई हैं ।
( Lovy Bhardwaj)
जिसके कुछ अंश निम्नलिखित हैं:
1. गोरे हमारी ही भूमि 99 वर्ष के लिए हम भारतवासियों को ही किराए पर दे गए|
2. भारत का संविधान अभी भी ब्रिटेन के अधीन है|
3. ब्रिटिश नैशनैलीटी अधिनियम 1948 के अंतर्गत हर भारतीय, आस्ट्रेलियाई, कनाडाई चाहे हिन्दू हो, मुसलमान हो, इसाई हो, बोद्ध हो, सिख ही क्यों न हो, बर्तानियो की प्रजा है|
4.भारतीय संविधान के अनुच्छेदों 366, 371, 372 व 395 मे परिवर्तन की क्षमता भारत की संसद तथा भारत के राष्ट्रपति के पास भी नहीं है |
4. गोपनीय समझौतों (जिनका खुलासा आज तक नहीं किया जाता) के तहत वार्षिक अरबों रूपये पेंशन ।
5. इन्ही गोपनीय समझौतों के तहत ही वार्षिक रूप से हजारों टन गौ मांस ब्रिटेन को दिया जाएगा|
[यही वह गोपनीयता है, जिसकी शपथ भारत के राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, सभी राज्यों के मुख्य-मंत्री तथा अन्य समस्त मंत्री तथा प्रशासनिक अधिकारी लेते हैं... अत: उपरोक्त समस्त पदाधिकारी समस्त स्वतंत्र देशों की भाँती मात्र पद की शपथ नही लेते... अपितु 'पद एवं गोपनीयता' की शपथ लेते हैं ।]
6. अनुच्छेद 348 के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय व संसद की कार्यवाही केवल अंग्रेजी भाषा में ही होगी|
7. राष्ट्र्मंडल समूह के किसी भी देश पर भारत पहले हमला नही कर सकता ।
8. भारत किसी भी राष्ट्र्मंडल समूह के देश को जबरदस्ती अपनी सीमा में नही मिला सकता ।
ऐसे बहुत से नियम एवं शर्तें सशर्त लिखित रूप से दर्ज हैं Trasfer of Power नामक इस Agreement में ।
और यदि भविष्य में भारत किसी भी नियम या शर्त को भंग करता है तो...
1. भारत का संविधान तत्काल रूप से Null & Void हो जाएगा ।
2. छद्म स्वतन्त्रता भी छीन ली जाएगी ।
3. भारत में 1935 का Goverment of India Act लागू हो जायेगा तत्काल प्रभाव से, जिसके आधार पर Indian Independence Act 1947 का निर्माण किया गया था ।
4. ब्रिटिश राज पुन: लागू हो जायेगा ... पूर्ण रूप से ।
Indian Independence Act 1947
www.legislation.gov.uk/ukpga/ Geo6/10-11/30
British Nationality Act 1947
http://lawmin.nic.in/ legislative/textofcentralacts/ 1947.pdf
British Nationality Act 1948
www.uniset.ca/naty/BNA1948.htm
1. आज कश्मीर पाकिस्तान को दे दो तो वो कश्मीर तब भी रहेगा तो ब्रिटेन की ही Teritory में ... रानी का ही तो है कश्मीर।
2. आज सिखों को खालिस्तान दे दिया जाए तो वो भी रानी का ही रहेगा ।
3. पूरा पाकिस्तान, बर्मा, बंगलादेश, श्री लंका (Ceylon) भी रानी का ही है ।
4. भारत भी क्वीन एलिज़ाबेथ के अधीन ही है ।
कहना छोड़िये कि हम स्वंतंत्र हैं ।
बिना रक्त बहाए किसी को स्वतंत्रता नहीं मिली ।
( Lovy Bhardwaj)
आज भी वर्तमान संविधान के अनुच्छेद 147 के अनुसार यदि भारतीय संविधान में कोई परिवर्तन करना हो तो वो केवल Government of India Act - 1935 के आधार पर ही किया जा सकता है l
अब भविष्य में पुन: किसी गाँधी-नेहरु पर विश्वास न करना ।
उपरोक्त चित्र लिया गया है 2014 जुलाई महीने में हुए ग्लासगो राष्ट्र्मंडल के उद्घाटन समारोह से जहाँ सभी देशों के खिलाड़ी अपने देश का राष्ट्रिय ध्वज लेकर आ रहे थे, परन्तु उन देशों के खिलाड़ियों के समूहों के आगे आगे एक लडकी चल रही थी और उसके हाथ में जंजीर थी, जो कि एक कुत्ते के गले में बंधी थी और उस कुत्ते के ऊपर एक कपड़ा बंधा था जिस पर पीछे चल रहे खिलाड़ियों के समूह के देश का नाम लिखा हुआ था, ऐसा ही एक कुत्ता भारत देश के नाम से भी वहां सबके सामने चलाया गया था l
भारत की (छद्म) स्वतन्त्रता और भारत विभाजन की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया ।
4 जुलाई 1947 से आरम्भ हुई यह प्रक्रिया 14 जुलाई को सम्पूर्ण हो गई और मात्र 40 दिनों में ही यह प्रक्रिया समस्त षड्यंत्रों के तहत सम्पूर्ण हुई ।
गंधासुर गांधी ने कहा था कि विभाजन मेरी लाश पर होगा जिसे सुनकर वर्तमान पाकिस्तानी पंजाब में रहने वाले हिन्दुओं में वर्तमान भारतीय क्षेत्रो में आकर बसने के निर्णय को बदल दिया । (Lovy Bhardwaj)
14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बन गया और हिन्दू वहीं फंस गये ।
नरसंहार का एक ऐतिहासिक काल आरम्भ हुआ जिसके तहत... 35 लाख हिन्दुओं का नरसंहार किया गया ।
3 लाख हिन्दू नारियों का बलात्कार हुआ व जबरन धर्म परिवर्तन करके उन्हें मुस्लिम बना दिया गया ।
3 करोड़ हिन्दू पाकिस्तान के जबड़े में फंसे रह गये ।
और इस भयानक नरसंहार के बीच किसी ने ध्यान ही नही दिया कि आखिर हुआ क्या ?
1946 के चुनावों के बाद जो सर्वदलीय संसद बनी उसमे विभाजन के प्रस्ताव को पारित करने हेतु संयुक्त रूप से 157 वोट डाले समर्थन हेतु डाले गये जिसमे प्रमुख पार्टियाँ (कांग्रेस + मुस्लिम लीग + कम्यूनिस्ट पार्टी) थीं ।
पहला हाथ नेहरु ने उठाया था । (Lovy Bhardwaj)
विरोध में अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के 13 वोट पड़े और रामराज्य परिषद के 4 वोट पड़े ।
विभाजन का प्रस्ताव पारित हो गया ।
उसके बाद की समस्त प्रक्रिया दिल्ली में औरंगजेब रोड स्थित मुहम्मद अली जिन्ना के घर पर ही सम्पूर्ण हुई ।
जिन्ना इतना धूर्त था कि जहाँ भू-तल पर नेहरु-गाँधी लार्ड माउंटबैटन के साथ कानूनी सहमतियाँ बना रहे थे वहीं प्रथम तल पर जिन्ना अपनी कुछ सम्पत्तियां और औरंगजेब रोड पट स्थित वह घर बेचने की प्रक्रिया पूरी कर रहा था ।
मुहम्मद अली जिन्ना एक वकील था ।
नेहरु एक वकील था ।
गांधी एक वकील था ।
सरदार पटेल भी एक वकील था ।
उस समय के अधिकतर नेता वकील ही थे ।
वे सब जानते थे कि यह सम्पूर्ण स्वतन्त्रता नही अपितु स्वतन्त्रता है मात्र कुछ वर्षों हेतु । (Lovy Bhardwaj)
जी हाँ... यह छद्म स्वंत्रता ही थी ...इससे अधिक और कुछ नही ।
सत्ता का हस्तांतरण हुआ था ।
अर्थात सत्ता तो अंग्रेजों के पास ही रहेगी और उनकी देखरेख में शासन की व्यवस्था सम्भालेंगे ... आत्मा से बिके हुए कुछ गिरे हुए भारतीय ।
यदि आधुनिक भाषा में कहूँ तो विश्व की सबसे प्रथम डील थी Business Process Outsourcing की स्थापना हुई l
सत्ता के इस हस्तांतरण का साक्षी बना "Agreement of Transfer of Power" जो कि लगभग 4000 पेजों में बनाया गया था और जिसे अगले 50 वर्षों हेतु सार्वजनिक न करने का नियम भी साथ में लागू किया गया ।
1997 में इस Agreement को सार्वजनिक होने से बचाने हेतु समय से पहले ही तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री इंद्र कुमार गुजराल ने इसकी अवधि 22 वर्ष और बढा दी और यह 2019 तक पुन: सार्वजनिक होने से बच गया ।
ऐसे सत्ता के हस्तांतरण के Agreements ब्रिटिश सरकार के अधीन भारत समेत समस्त 54 देशों के हैं जिनमे आस्ट्रेलिया, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलेंड, श्रीलंका, पाकिस्तान आदि 54 देश हैं ।
यह 54 देश ब्रिटिश राज के उपनिवेश कहलाते हैं ।
इन 54 देशों के नागरिक ब्रिटेन की रियाया हैं अर्थात ब्रिटेन के ही नागरिक हैं ।
इन 54 देशों के समूह को "राष्ट्र्मंडल" नाम से जाना जाता है जिसे आप Common Wealth के नाम से भी जानते हैं अर्थात संयुक्त सम्पत्ति । संयुक्त सम्पत्ति किसकी ... ब्रिटेन की रानी की l
(Lovy Bhardwaj)
यदि आप सबको कोई आशंका हो तो उदाहरण के तौर पर आप यूं समझ लें कि ब्रिटेन समेत सभी ब्रिटेन उपनिवेश "राष्ट्र्मंडल" देशों के भारत में विदेश मंत्री तथा राजदूत नही होते अपितु विदेश मामलों के मंत्री तथा उच्चायुक्त होते हैं और ठीक इसी प्रकार भारत के भी इन देशों में विदेश मामलों के मंत्री तथा उच्चायुक्त ही होते हैं ।
1. Minister of Foreign Affairs
2. High Commissioner
जैसे कि भारत की विदेश मंत्री हैं सुषमा स्वराज, तो यह सुषमा स्वराज का अधिकारिक दर्जा विदेश मंत्री के तौर पर केवल रूस, जापान, चीन, फ़्रांस, जर्मनी, बेल्जियम आदि स्वतंत्र देशों में ही रहता है ।
परन्तु ब्रिटिश उपनिवेशिक अर्थात राष्ट्र्मंडल देशों जैसे आस्ट्रेलिया, कनाडा आदि देशों में सुषमा स्वराज का अधिकारिक दर्जा Minister of Foreign Affairs का ही रहता है ।
आखिर भारत जैसे गुलाम देश की नागरिक क्वीन एलिज़ाबेथ की विदेश मंत्री कैसे हो सकती है ... क्यूंकि यह कनाडा, आस्ट्रेलिया, भारत आदि देश तो क्वीन एलिज़ाबेथ के ही अधिकार क्षेत्र या मालिकाना क्षेत्र में ही आते हैं जिसे आजकल आप Territory के नाम से समझते हैं ।
इसी प्रकार उपनिवेशिक / राष्ट्र्मंडल देशों में भारत का कोई राजदूत (Ambassador) नही होता अपितु मात्र उच्चायुक्त (High Commissioner) ही होता है । उपनिवेश देशों में उपनिवेश देशों का कोई भी राजदूत या दूतावास ही नही होगा, केवल उच्चायुक्त ही होंगे, आज तक किसी भी ब्रिटिश उपनिवेश देश में किसी भी ब्रिटिश उपनिवेश देश का अधिकृत रूप से कोई राजदूत नियुक्त नही हुआ और न ही कोई दूतावास ही बनाया गया है l
केवल उच्चायुक्त होते हैं l
Transfer of Power नामक इस Agreement की शर्तें लगभग 4000 पेजों में विस्तार से लिखी गई हैं ।
( Lovy Bhardwaj)
जिसके कुछ अंश निम्नलिखित हैं:
1. गोरे हमारी ही भूमि 99 वर्ष के लिए हम भारतवासियों को ही किराए पर दे गए|
2. भारत का संविधान अभी भी ब्रिटेन के अधीन है|
3. ब्रिटिश नैशनैलीटी अधिनियम 1948 के अंतर्गत हर भारतीय, आस्ट्रेलियाई, कनाडाई चाहे हिन्दू हो, मुसलमान हो, इसाई हो, बोद्ध हो, सिख ही क्यों न हो, बर्तानियो की प्रजा है|
4.भारतीय संविधान के अनुच्छेदों 366, 371, 372 व 395 मे परिवर्तन की क्षमता भारत की संसद तथा भारत के राष्ट्रपति के पास भी नहीं है |
4. गोपनीय समझौतों (जिनका खुलासा आज तक नहीं किया जाता) के तहत वार्षिक अरबों रूपये पेंशन ।
5. इन्ही गोपनीय समझौतों के तहत ही वार्षिक रूप से हजारों टन गौ मांस ब्रिटेन को दिया जाएगा|
[यही वह गोपनीयता है, जिसकी शपथ भारत के राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, सभी राज्यों के मुख्य-मंत्री तथा अन्य समस्त मंत्री तथा प्रशासनिक अधिकारी लेते हैं... अत: उपरोक्त समस्त पदाधिकारी समस्त स्वतंत्र देशों की भाँती मात्र पद की शपथ नही लेते... अपितु 'पद एवं गोपनीयता' की शपथ लेते हैं ।]
6. अनुच्छेद 348 के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय व संसद की कार्यवाही केवल अंग्रेजी भाषा में ही होगी|
7. राष्ट्र्मंडल समूह के किसी भी देश पर भारत पहले हमला नही कर सकता ।
8. भारत किसी भी राष्ट्र्मंडल समूह के देश को जबरदस्ती अपनी सीमा में नही मिला सकता ।
ऐसे बहुत से नियम एवं शर्तें सशर्त लिखित रूप से दर्ज हैं Trasfer of Power नामक इस Agreement में ।
और यदि भविष्य में भारत किसी भी नियम या शर्त को भंग करता है तो...
1. भारत का संविधान तत्काल रूप से Null & Void हो जाएगा ।
2. छद्म स्वतन्त्रता भी छीन ली जाएगी ।
3. भारत में 1935 का Goverment of India Act लागू हो जायेगा तत्काल प्रभाव से, जिसके आधार पर Indian Independence Act 1947 का निर्माण किया गया था ।
4. ब्रिटिश राज पुन: लागू हो जायेगा ... पूर्ण रूप से ।
Indian Independence Act 1947
www.legislation.gov.uk/ukpga/
British Nationality Act 1947
http://lawmin.nic.in/
British Nationality Act 1948
www.uniset.ca/naty/BNA1948.htm
1. आज कश्मीर पाकिस्तान को दे दो तो वो कश्मीर तब भी रहेगा तो ब्रिटेन की ही Teritory में ... रानी का ही तो है कश्मीर।
2. आज सिखों को खालिस्तान दे दिया जाए तो वो भी रानी का ही रहेगा ।
3. पूरा पाकिस्तान, बर्मा, बंगलादेश, श्री लंका (Ceylon) भी रानी का ही है ।
4. भारत भी क्वीन एलिज़ाबेथ के अधीन ही है ।
कहना छोड़िये कि हम स्वंतंत्र हैं ।
बिना रक्त बहाए किसी को स्वतंत्रता नहीं मिली ।
( Lovy Bhardwaj)
आज भी वर्तमान संविधान के अनुच्छेद 147 के अनुसार यदि भारतीय संविधान में कोई परिवर्तन करना हो तो वो केवल Government of India Act - 1935 के आधार पर ही किया जा सकता है l
अब भविष्य में पुन: किसी गाँधी-नेहरु पर विश्वास न करना ।
उपरोक्त चित्र लिया गया है 2014 जुलाई महीने में हुए ग्लासगो राष्ट्र्मंडल के उद्घाटन समारोह से जहाँ सभी देशों के खिलाड़ी अपने देश का राष्ट्रिय ध्वज लेकर आ रहे थे, परन्तु उन देशों के खिलाड़ियों के समूहों के आगे आगे एक लडकी चल रही थी और उसके हाथ में जंजीर थी, जो कि एक कुत्ते के गले में बंधी थी और उस कुत्ते के ऊपर एक कपड़ा बंधा था जिस पर पीछे चल रहे खिलाड़ियों के समूह के देश का नाम लिखा हुआ था, ऐसा ही एक कुत्ता भारत देश के नाम से भी वहां सबके सामने चलाया गया था l
उपरोक्त प्रकरण देख कर मुझे तो बहुत दुःख हुआ, परन्तु अफ़सोस हुआ कि उस समय एक भी मीडिया चैनल में इसके विरुद्ध किसी प्रकार की चर्चा नही हुई l
न ही भारत सरकार द्वारा इस पर आपत्ति जताई गई l
आप कहेंगे पता नही क्यों नही हुई ?
परन्तु मुझे ज्ञात है क्यों नही हुई ?
परन्तु मुझे ज्ञात है क्यों नही हुई ?
यदि किसी को यह चित्र भी नकली या Fabricated लगता हो तो इसी कार्यक्रम का विडिओ YouTube पर उपलब्ध है वह प्रत्यक्ष देख सकता है, इस विडिओ में 40वें मिनट पर आप प्रत्यक्ष देख सकते हैं l
https://www.youtube.com/watch?v=ZlYwNqixTig
आज वसुदेव बलवंत फडके, वीर सावरकर,
नथुराम गोडसे व आप्टे, डाक्टर मुंजे, चन्द्रशेखर
आज़ाद, रामप्रसाद बिस्मिल, भगत सिंह आर्य, राजगुरु, सुखदेव, बटुकेश्वर दत्त, रोशनसिंह, मदनलाल ढींगरा आदि देशभक्त क्यों पैदा होने बंद
हो गये...?
क्यूंकि भारत की जनता को छद्म स्वतन्त्रता और गाँधी-नेहरु आदि की झूठी कहानियाँ सुना सुना कर खोखला कर दिया गया है ।
क्यूंकि भारत की जनता को छद्म स्वतन्त्रता और गाँधी-नेहरु आदि की झूठी कहानियाँ सुना सुना कर खोखला कर दिया गया है ।
उपरोक्त सभी शूरवीर देशभक्तों के नाम आज आप नही
जानते यदि उन्हें किसी ने बताया न होता कि वे गुलाम देश के नागरिक हैं, और ब्रिटिश
राज ने भारत को गुलाम बनाया हुआ है l
(Lovy Bhardwaj)
(Lovy Bhardwaj)
आज लगभग वही स्थिति आ खड़ी हुई है, आज भी पैदा होते
हैं चन्द्रशेखर और रामप्रसाद बिस्मिल परन्तु आज उन्हें कोई बताता ही नही है कि वे
गुलाम हैं l
नई पीढ़ी अपने करीयर और मौज-मस्ती को लेकर आत्म-मुग्ध है ।
हाथों में झूलते बीयर के गिलास और होठों पर सुलगती सिगरेट के धुएं में उड़ता पराक्रम और शौर्य की विरासत नष्ट सी होती दिखाई प्रतीत हो रही है ।
आज चाणक्य भी आ जाएँ तो निस्संदेह उसे भी सम्पूर्ण भारत देश में एक भी योग्य वीर्यवान सा पराक्रमी न प्राप्त होगा । ( Lovy Bhardwaj)
लाखों करोड़ों युवाओं के रूप में कभी यह राष्ट्र "ब्रह्मचर्य की शक्ति" के रूप में समस्त विश्व में प्रसिद्ध था और आज विडम्बना देखो कि उसी देश के वीर्यवान अपने बल-बुद्धि-प्रज्ञा समान वीर्य को युवावस्था में ही नष्ट कर डालते हैं ।
डाक्टर-इंजीनीयर-वैज्ञानिक तो सब घर के बाथरूम में ही बहा दिए जाते (वीर्य-नष्ट कर कर) हैं... तो बचे खुचे निकलेंगे तो क्लर्क ही ... वही क्लर्क जो Lord McCauley चाहता था ।
लगता है कि जैसे McCauley अपने लक्ष्य को पाकर जीत चुका है ।
( Lovy Bhardwaj)
सब उन्हें सिखाते हैं ... I Proud To Be An Indian...
जिसका वास्तविक अर्थ होता है ... I Proud To Be A British Indian.
मेरी जानकारी के अनुसार विश्व की सबसे पहली BPO की डील 15, अगस्त 1947 को हुई थी l
(Business Process Outsourcing)
और भारत का संविधान संवेधानिक रूप से न तो कभी भारत की लोकसभा में रखा गया और न ही उस पर बहस हुई और न ही वह पारित हुआ l
श्री लंका और बंगलादेश जैसे छोटे छोटे देशों की ने भी संविधान समीक्षा समिति बनाई और उस पर चर्चा कर के क्रमश: दो और तीन बार अपने संविधान को निरस्त किया, तथा जब तक कि वो उनके देश की बहुसंख्यक जनता की परम्पराओं, धर्म, सभ्यता, संस्कृति के अनुसार नही बन गया तब तक पारित नही हुई l
भारत जैसे देश में 3 बार संविधान समीक्षा समिति बनाई जाती है...
परन्तु ... तीनो ही बार संविधान समीक्षा समिति ही भंग हो जाती है... संविधान नही l
सेना आप की रक्षक है|
भारत में सेना का मनोबल तोड़ने के लिए, १९४७ से ही षड्यंत्र जारी है|
1947 में भारतीय सेना पाकिस्तानियों को पराजित कर रही थी, सेना वापस बुला ली गई ।
सैनिक हथियार बनाने और परेड करने के स्थान पर जूते बनाने लगे । परिणाम 1962 में चीन के हाथों पराजय के रूप में आया। 1965 में जीती हुई धरती के साथ हम प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को गवां बैठे| 1971 में पाकिस्तान के 93 हजार युद्ध बंदी छोड़ दिए गए लेकिन भारत के लगभग 54 सैनिक वापस नहीं लिये गए| एलिजाबेथ के लिए इतना कुछ करने के बाद इंदिरा और राजीव दोनों मारे गए|
पाकपिता गंधासुर गाँधी को पहचानने में माननीय प्रधानमंत्री नमो सहित सारे इंडियन आज भी भूल कर रहे हैं ।
आप सबसे विनम्र निवेदन है कि संगठित हों और एकजुट होकर अपने धर्म तथा इस राष्ट्र की रक्षा करें ... बचा लीजिये इस नष्ट होते सनातन वैदिक धर्म तथा आर्यों की इस पवित्र भूमि स्वरूप इस राष्ट्र को ।
हम परतंत्र क्यों रहें ?
हम ब्रिटेन के नागरिक क्यों बने रहें ?
हम ब्रिटेन के गुलाम क्यों बने रहें ?
राष्ट्र्मंडल का विरोध करो ।
सत्ता के हस्तांतरण के अनुबंध का विरोध करो ।
क्वीन एलिज़ाबेथ की दासता का विरोध करो ।
क्या आप में आर्यत्व ... जीवित है ?
क्या आप आर्यावर्त नाम से प्रसिद्ध इस भारत भूमि को दासता की बेडियों से मुक्त कर सकते हैं ?
क्या आप वीर सावरकर, वसुदेव बलवंत फडके, चन्द्रशेखर आज़ाद, रामप्रसाद बिस्मिल आदि का अवतार बन सकते हैं ?
सीमाएं उसी राष्ट्र की विकसित और सुरक्षित रहेंगी ...
...जो सदैव संघर्षरत रहेंगे l
जो लड़ना ही भूल जाएँ वो न स्वयं सुरक्षित रहेंगे न ही अपने राष्ट्र को सुरक्षित बना पाएंगे l
जय श्री राम कृष्ण परशुराम
नई पीढ़ी अपने करीयर और मौज-मस्ती को लेकर आत्म-मुग्ध है ।
हाथों में झूलते बीयर के गिलास और होठों पर सुलगती सिगरेट के धुएं में उड़ता पराक्रम और शौर्य की विरासत नष्ट सी होती दिखाई प्रतीत हो रही है ।
आज चाणक्य भी आ जाएँ तो निस्संदेह उसे भी सम्पूर्ण भारत देश में एक भी योग्य वीर्यवान सा पराक्रमी न प्राप्त होगा । ( Lovy Bhardwaj)
लाखों करोड़ों युवाओं के रूप में कभी यह राष्ट्र "ब्रह्मचर्य की शक्ति" के रूप में समस्त विश्व में प्रसिद्ध था और आज विडम्बना देखो कि उसी देश के वीर्यवान अपने बल-बुद्धि-प्रज्ञा समान वीर्य को युवावस्था में ही नष्ट कर डालते हैं ।
डाक्टर-इंजीनीयर-वैज्ञानिक तो सब घर के बाथरूम में ही बहा दिए जाते (वीर्य-नष्ट कर कर) हैं... तो बचे खुचे निकलेंगे तो क्लर्क ही ... वही क्लर्क जो Lord McCauley चाहता था ।
लगता है कि जैसे McCauley अपने लक्ष्य को पाकर जीत चुका है ।
( Lovy Bhardwaj)
सब उन्हें सिखाते हैं ... I Proud To Be An Indian...
जिसका वास्तविक अर्थ होता है ... I Proud To Be A British Indian.
मेरी जानकारी के अनुसार विश्व की सबसे पहली BPO की डील 15, अगस्त 1947 को हुई थी l
(Business Process Outsourcing)
और भारत का संविधान संवेधानिक रूप से न तो कभी भारत की लोकसभा में रखा गया और न ही उस पर बहस हुई और न ही वह पारित हुआ l
श्री लंका और बंगलादेश जैसे छोटे छोटे देशों की ने भी संविधान समीक्षा समिति बनाई और उस पर चर्चा कर के क्रमश: दो और तीन बार अपने संविधान को निरस्त किया, तथा जब तक कि वो उनके देश की बहुसंख्यक जनता की परम्पराओं, धर्म, सभ्यता, संस्कृति के अनुसार नही बन गया तब तक पारित नही हुई l
भारत जैसे देश में 3 बार संविधान समीक्षा समिति बनाई जाती है...
परन्तु ... तीनो ही बार संविधान समीक्षा समिति ही भंग हो जाती है... संविधान नही l
सेना आप की रक्षक है|
भारत में सेना का मनोबल तोड़ने के लिए, १९४७ से ही षड्यंत्र जारी है|
1947 में भारतीय सेना पाकिस्तानियों को पराजित कर रही थी, सेना वापस बुला ली गई ।
सैनिक हथियार बनाने और परेड करने के स्थान पर जूते बनाने लगे । परिणाम 1962 में चीन के हाथों पराजय के रूप में आया। 1965 में जीती हुई धरती के साथ हम प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को गवां बैठे| 1971 में पाकिस्तान के 93 हजार युद्ध बंदी छोड़ दिए गए लेकिन भारत के लगभग 54 सैनिक वापस नहीं लिये गए| एलिजाबेथ के लिए इतना कुछ करने के बाद इंदिरा और राजीव दोनों मारे गए|
पाकपिता गंधासुर गाँधी को पहचानने में माननीय प्रधानमंत्री नमो सहित सारे इंडियन आज भी भूल कर रहे हैं ।
आप सबसे विनम्र निवेदन है कि संगठित हों और एकजुट होकर अपने धर्म तथा इस राष्ट्र की रक्षा करें ... बचा लीजिये इस नष्ट होते सनातन वैदिक धर्म तथा आर्यों की इस पवित्र भूमि स्वरूप इस राष्ट्र को ।
हम परतंत्र क्यों रहें ?
हम ब्रिटेन के नागरिक क्यों बने रहें ?
हम ब्रिटेन के गुलाम क्यों बने रहें ?
राष्ट्र्मंडल का विरोध करो ।
सत्ता के हस्तांतरण के अनुबंध का विरोध करो ।
क्वीन एलिज़ाबेथ की दासता का विरोध करो ।
क्या आप में आर्यत्व ... जीवित है ?
क्या आप आर्यावर्त नाम से प्रसिद्ध इस भारत भूमि को दासता की बेडियों से मुक्त कर सकते हैं ?
क्या आप वीर सावरकर, वसुदेव बलवंत फडके, चन्द्रशेखर आज़ाद, रामप्रसाद बिस्मिल आदि का अवतार बन सकते हैं ?
सीमाएं उसी राष्ट्र की विकसित और सुरक्षित रहेंगी ...
...जो सदैव संघर्षरत रहेंगे l
जो लड़ना ही भूल जाएँ वो न स्वयं सुरक्षित रहेंगे न ही अपने राष्ट्र को सुरक्षित बना पाएंगे l
जय श्री राम कृष्ण परशुराम
लवी भाई इस हेतु हमें महासभा को पुनर्जिवित करना होगा..... किन्तु जब तक संघ नामक भांग का नशा भारतियों के रक्त में है यह कार्य दुष्कर है ।
ReplyDeleteजी, मैं सहमत हूँ आपसे !
Deleteअच्छा लेख है
ReplyDeleteधन्यवाद राहुल जी
Deleteअत्यंत सुंदर, सटीक तथा ज्ञानवर्धक लेख, आपको धन्यवाद..साधुवाद..
ReplyDeleteआपको भी साधुवाद है, आपने लेख पढ़कर हमारे परिश्रम को सार्थक किया l
Deleteपीड़ियों से चढ़ा भांग का नशा अब कुछ-कुछ उतरने लगा है..
ReplyDeleteyes sir
Deleteye lekh padke mene kai bate jani jo mene aaj tak suni nahi thi aapka dhanyavad
ReplyDeleteme ye lekh padke jag gaya hu or mere janne valo ko bhi jagau ga
अवश्य कीजिये,
Deleteभरतपुत्रों से यही आशा है l
ब्रिटेन कि अधीनता से मुक्त करवाइए अपने आर्यावर्त को, और सबको संगठित कीजिये l
हमसे जो सहायता सहयोग अपेक्षित हो, सूचित कीजियेगा l
bhai jee apke gyan ko sadhuvaad
ReplyDeleteसाधुवाद आपको है, क्यूंकि आपने पढ़ा तभी हमारा परिश्रम सार्थक हुआ l
Deletelovy bhai, maine ye pahle pada hai aur logo ko batane ki koshish bhi kari hai parantu koi vishvas hi nahi karta. aur koi maan bhi le to puchta hai ki mere maanne se kya hoga aur karne se kya hoga.
ReplyDeleteअंकुर जी, यही विडम्बना है सबसे बड़ी, कि आजकल की पीढ़ी को अपने और अपने देश के गुलाम होने की सच्चाई से अवगत होने पर कोई फर्क नही पड़ता l
DeleteHi,
ReplyDeleteAt the beginning of this article, you have mentioned the month for Republic Day as 26 December, please correct it to 26 January.
Bhai Republic Day ka month to sahi likho nahi to kaun padhega ye article.
अविनाश जी,
Deleteकेवल एक स्थान पर तिथि की गलती होने पर आप इतनी बड़ी बात बोल गये, आखिर इतने नकारात्मक क्यों हैं आप ?
बाकी उसके अलावा इतने काम की बातें हैं... उनका कोई मोल नही ?
Leave it.......... मक्खी है लवी भाई.......... उड़ जाएगी !
Delete- उदय तिवारी
it is preoccuoped n prejudiced
ReplyDeleteमै अचबित हुआ यह पढकर,
ReplyDeleteहम युवा तो संसार के भोग साधना मे लिन हो रहे है,मै आशा करता हु कि,यह बहुत महत्त्व पुर्ण जानकारी हर भारतीय नागरिक तक पौहचे
मै वचन देता हु भारत को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने मै हर मुमकिन कार्य हमेशा करुगा,मित्र जनोको परिवार के हर सदस्य तक यह महत्व पुर्ण जानकारी पहुचा ऊगा,
शत शत प्रणाम गुरुजी
मै अचबित हुआ यह पढकर,
ReplyDeleteहम युवा तो संसार के भोग साधना मे लिन हो रहे है,मै आशा करता हु कि,यह बहुत महत्त्व पुर्ण जानकारी हर भारतीय नागरिक तक पौहचे
मै वचन देता हु भारत को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने मै हर मुमकिन कार्य हमेशा करुगा,मित्र जनोको परिवार के हर सदस्य तक यह महत्व पुर्ण जानकारी पहुचा ऊगा,
शत शत प्रणाम गुरुजी
सही बात हे भाई लेक8न आपके पास सुबूत हे इस बात का??
ReplyDeleteआप बता सकते हे की 99 इयर लीज किसने किसको दी ?और कहा से कहा तक दी??लीज ख़तम होने के बाद इंडिया का मालिक कौन? क्या इंडिया सच में स्वराज हे या राजस्व हे ???
ReplyDeleteDear lovyji,
ReplyDeletePlease send your contact numbers and email address to 91-9246804692 immediately so that we can be in regular touch.
Eagerly awaiting your prompt positive response
संविधान का निर्माण भारतवर्ष में एक ऐसा
ReplyDeleteप्रसंग है जो पिछले दस हजार वर्ष में
न घटी एक महत्तम घटना है.
एक संग भारत हेतु जो प्रयास रहा, चाहे वह अशोक सम्राट हो या अकबर बादशाह हो ,
जिनकी अधिपत्य में सम्पूर्ण भारतवर्ष एकाग्र नही था वह संविधान की वजह से एकराष्ट्र
निर्माण उदय प्रतीत होता है.
स्वतन्त्रता,समता,न्याय,बन्धुत्वता जिसका उद्घोष हो सबको समान सन्धि(अवसर), समान अधिकार का न्यायिक तन्त्र हो ,
उसे किस दृष्टिकोण व्दारा ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर एक्ट कहा जा सकता है .
संविधान के निर्माण में कितने दिन लगे ,कौन कौन लोगो ने क्या क्या काम किया,किसने कितना काम किया , कितने प्रश्न किये गए,किसने इन प्रश्नो का उत्तर दिया सब बातो का रिकॉर्ड है जो पब्लिश भी हो चूका है .
पर जिनकी दृष्टिकोण में भेद है, सोच में ही मोतिया हो उनको कैसे समझाये ,उनका काम तो बस बुद्धिभेद करना हो ,उन्हें समझाया नही जा सकता है.
जो ये भूल चुके है की यहा बारह सो साल
तक बुद्ध के उपदेशो का पालन हुआ है जिनका नब्बे प्रतिशत हिस्सा बौद्ध धर्म प्रचार में बीत गया, वह ये भी भूल गये की धम्मपद में ब्राम्हणवग्गो के चालीस गाथाए (श्लोक) एक आर्दश संहिता थी.जिसका प्रचार करते हुए कांचीवरम् का एक भिक्षु बोद्धिधर्मन् चीन चला गया व् बौद्ध धर्म का विश्व गुरु बन गया.
जो कल्पना में विशवास करते है , जो गुलाम भारत के रचित साहित्य का गुणगान करते रहते है .जिन्होंने वास्तवीक मूल सन्दर्भ के साहित्य से नाता ही तोडा हो ,उनका समाधान करना ही बेकार है.
किसीने सच ही कहा है की वेद बेकार की चार पुस्तके है .
क्योंकि उसमे यज्ञ,हिंसा ,राजनीती के सिवाय कुछ नही .पर जिन्हें संविधान से बेहतर वेद का ज्ञान हो उन्हें स्वतन्त्रता और संविधान बेकार सा मालुम होता है.
संविधान का निर्माण भारतवर्ष में एक ऐसा
ReplyDeleteप्रसंग है जो पिछले दस हजार वर्ष में
न घटी एक महत्तम घटना है.
एक संग भारत हेतु जो प्रयास रहा, चाहे वह अशोक सम्राट हो या अकबर बादशाह हो ,
जिनकी अधिपत्य में सम्पूर्ण भारतवर्ष एकाग्र नही था वह संविधान की वजह से एकराष्ट्र
निर्माण उदय प्रतीत होता है.
स्वतन्त्रता,समता,न्याय,बन्धुत्वता जिसका उद्घोष हो सबको समान सन्धि(अवसर), समान अधिकार का न्यायिक तन्त्र हो ,
उसे किस दृष्टिकोण व्दारा ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर एक्ट कहा जा सकता है .
संविधान के निर्माण में कितने दिन लगे ,कौन कौन लोगो ने क्या क्या काम किया,किसने कितना काम किया , कितने प्रश्न किये गए,किसने इन प्रश्नो का उत्तर दिया सब बातो का रिकॉर्ड है जो पब्लिश भी हो चूका है .
पर जिनकी दृष्टिकोण में भेद है, सोच में ही मोतिया हो उनको कैसे समझाये ,उनका काम तो बस बुद्धिभेद करना हो ,उन्हें समझाया नही जा सकता है.
जो ये भूल चुके है की यहा बारह सो साल
तक बुद्ध के उपदेशो का पालन हुआ है जिनका नब्बे प्रतिशत हिस्सा बौद्ध धर्म प्रचार में बीत गया, वह ये भी भूल गये की धम्मपद में ब्राम्हणवग्गो के चालीस गाथाए (श्लोक) एक आर्दश संहिता थी.जिसका प्रचार करते हुए कांचीवरम् का एक भिक्षु बोद्धिधर्मन् चीन चला गया व् बौद्ध धर्म का विश्व गुरु बन गया.
जो कल्पना में विशवास करते है , जो गुलाम भारत के रचित साहित्य का गुणगान करते रहते है .जिन्होंने वास्तवीक मूल सन्दर्भ के साहित्य से नाता ही तोडा हो ,उनका समाधान करना ही बेकार है.
किसीने सच ही कहा है की वेद बेकार की चार पुस्तके है .
क्योंकि उसमे यज्ञ,हिंसा ,राजनीती के सिवाय कुछ नही .पर जिन्हें संविधान से बेहतर वेद का ज्ञान हो उन्हें स्वतन्त्रता और संविधान बेकार सा मालुम होता है.
LOVY BHARADWAJ JI अपने राजीव जी को सही से नही सुना उनकी आडियो RAJIVDIXITMP3.COM लोड करे
ReplyDelete150 मे 140 आडियो मे कुछ समवेदनशील जानकारी है को फिर से सुने । नेहरु ने गाँधी जी को धोखा दिया था । केवल